Ae Watan Mere Watan Movie Review In Hindi: ‘ऐ वतन मेरे वतन’ एक शानदार ऐतिहासिक कैरेक्टर को इतने हल्के अंदाज में पेश करना वाकई हैरान करने वाला था। करण जौहर की प्रोडक्शन और कन्नन अय्यर की डायरेक्शन वाली यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई। यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘ऐ वतन मेरे वतन’ बॉलीवुड की उन कमजोर फिल्मों में से एक है जो ओटीटी पर ही रिलीज होती हैं।
सारा अली खान के अलावा फिल्म में इमरान हाशमी, आनंद तिवारी, सचिन खेड़ेकर, अभय वर्मा और स्पर्श श्रीवास्तव भी हैं, लेकिन कहानी और डायरेक्शन की कमजोरी फिल्म को बचा नहीं पाती।
कहानी
‘ऐ वतन मेरे वतन’ 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली क्रांतिकारी उषा मेहता की कहानी है। फिल्म में सारा अली खान ने उषा मेहता और इमरान हाशमी ने राम मनोहर लोहिया का किरदार निभाया है। फिल्म में उषा के परिवार, राजनीतिक माहौल, स्वतंत्रता संग्राम, अंग्रेजों के अत्याचार और महान नेताओं को दिखाने का प्रयास किया गया है। लेकिन, कमजोर निर्देशन, खराब कास्टिंग, और सारा अली खान का अभिनय फिल्म को थकाऊ बना देता है। यह फिल्म उषा मेहता जैसे महान क्रांतिकारी के जीवन को उचित श्रद्धांजलि देने में विफल रहती है।
ऐ वतन मेरे वतन का ट्रेलर
अभिनय
सारा अली खान को उषा मेहता के किरदार को निभाने के लिए सराहना और आलोचना दोनों मिली है। कुछ को उनका अभिनय पसंद आया, जबकि अन्य को लगा कि वह किरदार के निरंतर जज्बे को पूरी तरह से चित्रित नहीं कर पाईं।
डायरेक्शन
डायरेक्टर कन्नन अय्यर का ठीक-ठाक है। फिल्म कुछ हिस्सों में तो अच्छी है, लेकिन अंत तक यह शानदार अनुभव नहीं दे पाती। फिल्म में कुछ रोमांचक दृश्य हैं, लेकिन फिर भी लेखन टीम बेहतर कर सकती थी। संक्षेप में: “ऐ वतन मेरे वतन” का निर्देशन ठीक-ठाक है, कुछ रोमांचक दृश्य हैं, लेकिन कमजोर लेखन फिल्म को औसत बना देता है।
अन्य पहलू
फिल्म के निर्माण मूल्य की प्रशंसा की जाती है। सेट डिजाइन, वेशभूषा और पृष्ठभूमि संगीत को उस दौर को जीवंत करने में सफल बताया गया है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, “ऐ वतन मेरे वतन” भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक कम सुने गए अध्याय को सामने लाती है। सारा अली खान ने पर्दे पर उषा मेहता का किरदार निभाया है और उन्होंने अच्छा अभिनय किया है। इमरान हाशमी ने भी उन्हें बखूबी सहयोग दिया है। हालांकि, फिल्म का मध्य भाग रोमांचक है, लेकिन शुरुआत और अंत प्रभावी ढंग से पेश नहीं किए गए हैं। अहम अंतिम क्षणों में फिल्म की रफ्तार धीमी हो जाती है और प्रेम कहानी भी कमजोर है। यदि आप ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में जानने में रुचि रखते हैं, तो “ऐ वतन मेरे वतन” देखी जा सकती है, लेकिन यह एक औसत फिल्म है।