उदय महुरकर ने यौन सामग्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने और 10-20 साल की सजा तथा कम से कम तीन साल तक जमानत न देने वाले कड़े कानूनों की मांग की। पीओसीएसओ अधिनियम, आईटी अधिनियम, महिलाओं के अशोभनीय चित्रण (निषेध) अधिनियम, और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के उल्लंघनों का हवाला दिया गया। सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने चेतावनी दी कि अनियंत्रित यौन सामग्री 2047 तक भारत के एक महान राष्ट्र बनने के लक्ष्य को बाधित कर सकती है।

 

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर 2024: सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री उदय माहूरकर ने नेटफ्लिक्स, ALTT और X (जो पहले ट्विटर था) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है। उनका आरोप है कि ये प्लेटफॉर्म यौन स्पष्ट सामग्री दिखा रहे हैं। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, माहूरकर ने गेम्स ऑफ बॉलीवुड के संस्थापक श्री संजीव नेवर और सुप्रीम कोर्ट के वकील श्री विनीत जिंदल के साथ इस तरह की सामग्री से जुड़े खतरों पर चर्चा की।

माहूरकर ने कहा, “दिल्ली पुलिस ने नेटफ्लिक्स, ALTT और X के खिलाफ मेरी शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया, जबकि मुंबई पुलिस ने एकता कपूर और शोभा कपूर के खिलाफ पीओसीएसओ एक्ट के उल्लंघन के लिए एफआईआर दर्ज की है। शिकायत में जीतेन्द्र कपूर, शोभा कपूर, और एकता आर. कपूर के नाम भी शामिल हैं क्योंकि ये ALTT के प्रमोटर हैं।” उन्होंने आगे कहा कि पुलिस की निष्क्रियता के कारण उन्हें कोर्ट जाना पड़ा।

माहूरकर ने इन प्लेटफॉर्म्स की आलोचना करते हुए कहा कि यहां अश्लील और हानिकारक सामग्री आसानी से उपलब्ध है। उन्होंने X पर हार्डकोर पोर्नोग्राफी, नग्नता, और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से जुड़ी यौन सामग्री का भी ज़िक्र किया। ALTT पर उन्होंने अनाचार और दुर्व्यवहार से जुड़े ग्राफिक दृश्यों का आरोप लगाया, जो महिलाओं की छवि को खराब करते हैं। नेटफ्लिक्स पर भी ऐसी सामग्री होने का आरोप लगाया गया जो भारतीय कानूनों के खिलाफ है। माहूरकर का कहना है कि ये चीजें यौन हिंसा को बढ़ावा देती हैं और समाज को बर्बाद कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि ऐसी विकृत सामग्री के कारण नाबालिगों द्वारा किए जा रहे अपराध बढ़ रहे हैं, जैसे कि पिछले कुछ महीनों में भाई-बहन और पिता-पुत्री से जुड़े बलात्कार के कई मामले सामने आए हैं, जिनका संबंध पोर्नोग्राफी से है।

फाउंडेशन का कहना है कि ये प्लेटफॉर्म्स बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम (POCSO) 2012, आईटी एक्ट (2000), महिलाओं के अशोभनीय चित्रण (निषेध) अधिनियम (1986), और भारतीय दंड संहिता (IPC) का उल्लंघन कर रहे हैं। वकील विनीत जिंदल ने कहा कि इस तरह की सामग्री सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होने के कारण अपराध बढ़ रहे हैं और समाज में एक विषाक्त संस्कृति का निर्माण हो रहा है।

सितंबर 2024 में फाउंडेशन ने एक जन सुनवाई का आयोजन किया जिसमें 100 से ज्यादा पीड़ित परिवार अपनी शिकायतें लेकर आए। 200 से ज्यादा महिलाओं ने गवाही दी कि उनकी समस्याओं की जड़ इन प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद अश्लील सामग्री है।

संजीव नेवर ने कहा कि आजकल मनोरंजन के नाम पर हमारी सांस्कृतिक मूल्य खत्म होते जा रहे हैं और इस तरह की सामग्री समाज के लिए खतरनाक है। उन्होंने बताया कि बॉलीवुड भी देश में पोर्न इंडस्ट्री को बढ़ावा दे रहा है।

फाउंडेशन ने सरकार से इन प्लेटफॉर्म्स पर पूरी तरह से बैन लगाने और सख्त कानून बनाने की मांग की है, जिसमें 10-20 साल की सजा और जमानत न देने का प्रावधान हो। माहूरकर ने कहा कि अगर समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो हम अपनी सांस्कृतिक पहचान खो देंगे।

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