Punjab '95

Punjab '95

Diljit Dosanjh की आने वाली फिल्म Punjab ’95 रिलीज से पहले ही विवादों में घिर गई है। हनी त्रेहन द्वारा निर्देशित ये बायोपिक मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा की ज़िंदगी पर आधारित है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने इस फिल्म में 120 कट्स लगाने की मांग की है, लेकिन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने फिल्म का पूरा समर्थन किया है।

Punjab ’95 की समीक्षा करेंगे सिख विद्वान
अकाल तख्त ने SGPC से कहा है कि वो सिख विद्वानों की एक समीक्षा समिति बनाए, जो फिल्म को रिलीज से पहले अच्छे से जांचे। CBFC फिल्म में खालरा के नाम को बदलने जैसी कई मांगें कर रहा है, लेकिन SGPC और अकाल तख्त दोनों खालरा की विरासत को सही ढंग से पेश करने के पक्ष में हैं।

गुरचरण सिंह ग्रेवाल, एसजीपीसी सदस्य; (दाएँ) कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा

SGPC के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने मिड-डे को दिए एक इंटरव्यू में बताया, “अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सिख विद्वानों की एक पैनल बनाने की मांग की है, ताकि फिल्म की गहराई से समीक्षा की जा सके और यह सुनिश्चित हो सके कि फिल्म सिख समुदाय की भावनाओं के अनुरूप हो और इसकी मौलिकता बरकरार रहे।” ग्रेवाल ने खालरा की विरासत की रक्षा की ज़रूरत पर जोर दिया और कहा कि समीक्षा पैनल में कानूनी विशेषज्ञ और पंजाब के 1984-1995 के उथल-पुथल वाले दौर के राजनीतिक हालात से वाकिफ विद्वान शामिल होंगे।

CBFC ने अब तक Punjab ’95 को सर्टिफिकेट नहीं दिया
फिलहाल CBFC ने इस फिल्म को सर्टिफाई नहीं किया है, लेकिन अब उम्मीदें बढ़ गई हैं क्योंकि अकाल तख्त और SGPC ने फिल्म की समीक्षा करने का फैसला किया है। फिल्म से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि अब मेकर्स फिल्म में किसी भी कट को नहीं लगाने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें CBFC द्वारा सुझाए गए 22 कट्स भी शामिल हैं।

 Punjab ’95 की कहानी
यह फिल्म सिर्फ खालरा की न्याय की लड़ाई को दिखाने के लिए नहीं बनी है, बल्कि मानवाधिकार और ऐतिहासिक जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा शुरू करने का मकसद भी रखती है। जैसे-जैसे समीक्षा प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, सिख विद्वानों की सिफारिशें फिल्म के अंतिम रूप को तय करेंगी और ये देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म किस तरह से कहानी और समुदाय की उम्मीदों के बीच संतुलन बनाती है।

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