अमीर खुसरो की रचना
जी हां, “सकल बन” गीत को लिखा था मशहूर सूफी संत और कवि, अमीर खुसरो ने। ये 14वीं सदी के भारत में रहते थे और उन्हें इंडो-फारसी संगीत का एक अग्रणी व्यक्ति माना जाता है।
गाने का मतलब
गाना वसंत ऋतु के आगमन का वर्णन करता है। “सकल बन” शब्द का मतलब है “पूरा जंगल”। गीत में प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन है – खेतों में लहलहाती सरसों, खिलती आम की कलियां, कोयल की मीठी बोली और एक लड़की का श्रृंगार करना।
लेकिन, इस खुशनुमा माहौल के बीच भी एक उदासी का भाव है। गीत में एक प्रेमी की बात भी की गई है, जिसने वसंत ऋतु में निजामुद्दीन दरबार आने का वादा किया था, परन्तु कई साल बीत जाने के बाद भी वो नहीं आया।
Heeramandi में इस्तेमाल
हाल ही में, Sanjay Leela Bhansali की आने वाली वेब सीरीज ” Heeramandi ” के पहले गाने के रूप में “सकल बन” को चुना गया है। सीरीज ब्रिटिश राज के दौरान लाहौर के रेड-लाइट जिले के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां तवायफें रहती थीं। “सकल बन” का इस्तेमाल शायद इसलिए किया गया है क्योंकि ये गीत प्रेम, इंतजार और उदासी के भावों को प्रदर्शित करता है, जो शायद सीरीज की कहानी से जुड़ते हों।
700 साल पुराना गीत आज भी पसंद किया जाता है
“सकल बन” इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे शानदार संगीत समय की सीमाओं को पार कर सकता है। 700 साल पहले लिखा गया ये गीत आज भी अपनी सुंदरता और भावों के लिए पसंद किया जाता है।
*गाने के बोल: गाने के बोल कुछ इस तरह हैं:
“सकल बन खिले हैं, सरसों पीली लहलहाती”
> (पूरे जंगल खिल उठे हैं, पीली सरसों लहरा रही है)
> “आम की कलियां खिली हैं, कोयल डाल-डाल चहचहाती”
> (आम की कलियां खिल चुकी हैं, कोयल पेड़ों पर चहचहा रही है)
> “श्रृंगार कर रही है बाला, माली लाई है गुलदस्ता”
> (युवती श्रृंगार कर रही है, माली फूलों का गुलदस्ता लाया है)
> “हर हाथ में हैं रंग-बिरंगे फूल, आया न वो जो वादा करके गया”
> (हर हाथ में रंगीन फूल हैं, लेकिन वो नहीं आया जिसने वादा किया था)
गाने के बोल प्रतीकात्मक रूप से प्रेमी की उदासी को दर्शाते हैं. भले ही प्रकृति खिल रही है और चारों तरफ खुशियां हैं, मगर प्रेमी के ना आने से मायूसी बनी हुई है.
“सकल बन” का इतिहास और गाने के बोल मिलकर एक खूबसूरत कहानी बयां करते हैं. ये गाना न सिर्फ संगीत की धरोहर है, बल्कि ये उस दौर की सामाजिक परिस्थितियों की भी झलक दिखाता है.